झांसी में LIC अधिकारी की अचानक मौत: क्रिकेट खेलते हुए हुआ हादसा
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झांसी में LIC अधिकारी की अचानक मौत: क्रिकेट खेलते हुए हुआ हादसा

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झांसी में LIC अधिकारी की अचानक मौत: क्रिकेट खेलते हुए हुआ हादसा

— घटने का पूरा विवरण, परिवार की प्रतिक्रिया और आगे की कार्रवाई

घटना का परिचय

झांसी के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र के सिंधे­श्वर इलाके में बुधवार को एक बड़ी और चौंकाने वाली घटना सामने आई। Life Insurance Corporation of India (एल आई सी) में विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत ३० वर्षीय रविंद्र कुमार अहिरवार ने क्रिकेट खेलते समय अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अपनी जान गंवा दी। घटना उस समय हुई जब वह और उसके दोस्त ग्राउंड पर क्रिकेट खेल रहे थे।
मैच के तीसरे ओवर के दौरान, रविंद्र बॉलिंग कर रहे थे, तभी उन्हें प्यास लगी और उन्होंने पानी पीया। इसके तुरंत बाद उनकी तबीयत बिगड़ी, उल्टियाँ हुईं और वे मैदान में ही गिर पड़े। साथी खिलाड़ियों ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाई, उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है तथा मौत की कारण-विज्ञान की जांच की जा रही है।


पीड़ित अधिकारी की जानकारी

रविंद्र कुमार अहिरवार का परिवार नालगंज, सीपरी बाजार में रहता है। उनके पिता स्वामी प्रसाद अहिरवार एक राजमिस्त्री हैं। परिवार में बड़ी बहन, बड़े भाई और छोटा भाई हैं:

  • बड़े भाई विकास गुजरात के अहमदाबाद में मारुति कंपनी में कार्यरत हैं।

  • सबसे छोटा भाई अरविंद परीक्षा-तैयारी कर रहा है।
    दो साल पहले ही रविंद्र की LIC में विकास अधिकारी के पद पर भर्ती हुई थी। वह खेल-कूद के बहुत शौकीन थे और ऑफिस की छुट्टी होने पर दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने मैदान जाते थे।

छोटे भाई अरविंद ने बताया कि ग्राउंड घर से लगभग 1 किमी की दूरी पर था। बुधवार सुबह ऑफिस में छुट्टी होने के कारण रविंद्र ग्वालियर रोड स्थित GIC ग्राउंड पहुंचे थे, जहाँ मैच चल रहा था। भाई के दोस्त-सहयोगियों ने जब रविंद्र को पानी पिते देखा, उसके कुछ समय बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। रविंद्र ने दसकों की तरह कोई पूर्व रोग नहीं बताया था; तीन महीने पहले उन्होंने फुल बॉडी चेक-अप कराया था जिसमें कोई गंभीर समस्या नहीं पाई गई थी।


मैच के दौरान अचानक बदली तबीयत

बुधवार की सुबह करीब सात बजे, कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर रविंद्र अपने दोस्तों के साथ GIC ग्राउंड में पहुंचे। मैच का तीसरा ओवर चल रहा था और वह बॉलिंग कर रहे थे। खेल के बीच में प्यास लगने पर उन्होंने पानी लिया। इस सामान्य से दृश्य के तुरंत बाद उनका स्वास्थ्य गिरा: उन्हें उल्टियाँ आने लगीं, साथी उन्हें संभालने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह बेसुध होकर मैदान पर गिर गए।

उसी समय 108 एम्बुलेंस को कॉल किया गया और उन्हें मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। डॉक्टरों ने जांच के बाद रविंद्र को मृत घोषित कर दिया। घटना की जानकारी मिलने पर उनके घर में चीख-पुकार मच गई। परिजन और उनके साथी अधिकारी इस अचानक मौत की वजह को समझ ही नहीं पा रहे थे।


पारिवारिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ

रविंद्र के परिवार में इस घटना ने गहरी शोक-घटना फैला दी है। पिता, भाई-बहन और अन्य परिजन सदमे में हैं कि पूरी तरह स्वस्थ तथा युवा होने के बावजूद उनका बेटा अचानक कैसे चल बसा।
उनके छोटे भाई अरविंद ने विशेष रूप से बताया कि रविंद्र को किसी प्रकार की पूर्व बीमारी नहीं थी, उन्होंने तीन महीने पहले पूरा चेक-अप कराया था जिसमें कोई गंभीर अंतर्ग्रही समस्या नहीं पाई गई थी।

उनके दोस्तों और कार्यालय-सहकर्मियों ने भी रविंद्र को मेहनती, सकारात्मक और खेल-प्रेमी साथी के रूप में याद किया है। उनका कहना है कि रविंद्र अक्सर काम के बाद क्रिकेट खेलने निकल जाते थे, जिससे उनमें सक्रियता और उत्साह था।


तत्काल बाद की कार्रवाई और पुलिस की भूमिका

पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। मौत की वास्तविक कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने पर ही निर्धारित की जा सकेगी।
स्थान-विशेष: घटना GIC ग्राउंड, ग्वालियर रोड, सीपरी बाजार थाना, झांसी।
थाना-पुलिस ने घटना के बाद कहा है कि प्रारंभिक दृष्टि से यह किसी अपराध का मामला नहीं लगता, पर पूर्ण जांच की जाएगी।


ऐसे प्रश्न जिन पर पड़ सकती है आगे जांच

  • खेल के दौरान प्यास लगने और पानी पीने के बाद अचानक गिरने का कारण क्या था?

  • क्या यह किसी हार्ट अटैक, स्ट्रोक, ऑक्सीजन की कमी, या अन्य मेडिकल इमरजेंसी का मामला हो सकता है?

  • तीस महीने पहले उनका फुल बॉडी चेक-अप कराया था—क्या वहाँ किसी चिह्न या सबटाइल समस्या को छेड़ा नहीं गया?

  • मैदान में तुरंत उपचार सुविधा नहीं थी—क्या तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप का समय महत्वपूर्ण रहा?

  • पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद क्या परिवार को सूचना दी जाएगी, और क्या LIC द्वारा कोई आंतरिक जांच होगी?


खेल-कूद के दौरान स्वास्थ्य-सुरक्षा का महत्व

इस घटना से एक महत्त्वपूर्ण संदेश मिलता है: चाहे व्यक्ति कितना भी स्वस्थ क्यों न हो, खेल के दौरान स्वास्थ्य-संबंधी जोखिम को हल्के में नहीं लेना चाहिए। क्रिकेट या किसी भी तरह का खेल करते समय निम्नलिखित सावधानियाँ सहायक हो सकती हैं:

  • मैदान में पहले से उपलब्ध एम्बुलेंस या प्राथमिक उपचार की सुविधा देखें।

  • प्यास लगने पर तुरंत पानी लें, लेकिन तुरंत भारी व्यायाम न करें—कुछ क्षण विश्राम लेना उपयोगी होगा।

  • यदि हाल-ही में चेक-अप कराया गया हो और डॉक्टर ने सलाह दी हो कि अत्यधिक फिजिकल एक्टिविटी नियंत्रित करनी चाहिए, तो खेल प्रारंभ करने से पहले पुनः विचार करें।

  • साथी-खिलाड़ियों को भी आपातकालीन स्थिति जैसे चक्कर आना, उल्टियाँ होना आदि के लिए सजग रहना चाहिए।

  • खेल संपन्न होने के बाद भी स्वास्थ्य-चिंताओं पर ध्यान दें—उदाहरण के लिए अत्यधिक थकान, सांस में दिक्कत आदि पर चिकित्सकीय सलाह लें।


क्या आगे होगा?

– पुलिस द्वारा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों को बुलाया जाएगा ताकि मौत की वैज्ञानिक व चिकित्सा-वैज्ञानिक तरह से पुष्टि हो सके।
– LIC या स्थानीय कार्यालय संभवत: इस घटना को ध्यान में रखते हुए अपने कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य-प्रशिक्षण तथा खेल-संबंधी सुरक्षा-नियम तैयार करेंगे।
– परिवार को घटना के कारण, समय-समय पर जानकारी दी जाएगी व यदि कोई लापरवाही पाई जाती है तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही हो सकती है।
– स्थानीय मीडिया व सामाजिक प्लेटफॉर्म पर इस घटना के बाद जागरूकता बढ़ेगी कि खेल-कूद करते समय भी स्वास्थ्य-सुरक्षा को प्राथमिकता देना आवश्यक है।


निष्कर्ष

यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि जीवन अनिश्चित है और स्वास्थ्य व सुरक्षा को कभी भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। ३० वर्ष की युवा अवस्था, नियमित काम-धाम, खेल-प्रेमी व्यक्तित्व—इन सब के बावजूद अचानक मौत ने परिवार व समाज को स्तब्ध कर दिया।
हम सबको चाहिए कि हम अपनी दैनिक गतिविधियों—विशेषकर खेल-कूद एवं अन्य शारीरिक श्रम के दौरान—स्वास्थ्य-लक्षणों पर ध्यान दें, आपातकालीन व्यवस्था पहले से देखें और साथी-सहकर्मियों के साथ मिलकर सुरक्षा-नेटवर्क तैयार रखें।
रविंद्र कुमार अहिरवार की इस दुखद मृत्यु ने सिर्फ एक व्यक्ति को खोया नहीं, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों के साथ, खेल-सहभागिता के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने का पाठ भी छोड़ा है।

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